टेसू खिले वनों में

01-03-2021

टेसू खिले वनों में

अविनाश ब्यौहार (अंक: 176, मार्च प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

टेसू खिले वनों में
मानो चित्र उकेर दिया।
 
गंदुम की बाली ने
सोना बिखराया।
अलसी-सरसों की
खनक उठी काया॥
 
नौबहार ने फूलों में
केवल कनेर दिया।
 
जैसे कि फागुन
गंधों का झूला झूले।
ख़ुश्बू का वन 
हौले से पलकें छू ले॥
 
आम्रकुंज से कोकिल ने
फाग को टेर दिया।
 
गोया जीवन में
पतझर है आता।
है नाव-नदी का क्यों
बिगड़ा सा नाता॥
 
हरियाली के मंसूबों पर
पानी फेर दिया।
 

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