तरकीब

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 176, मार्च प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

मार्च 2020 में गोपाल जी सपत्नीक कुछ महीनों के लिए अपने बच्चों से मिलने भारत से अमेरिका आए थे लेकिन कोरोना के चलते वे अभी तक वापस नहीं जा पाए। उनकी एक बेटी वेस्ट न्यू यॉर्क में रहती है। उनकी इस बेटी के दो बेटे हैं - रोहन और मोहन। रोहन इस वक़्त पाँच वर्ष का है और मोहन डेढ़ वर्ष का। ख़ैर, इस दौरान रोहन उनसे बहुत प्यार करने लगा है। वह जब भी मौक़ा मिलता है, "नानू, आई लव यू" कहकर उनके आसपास मँडराता रहता है। 

इधर कुछ दिनों से गोपाल जी को यह विचार परेशान कर रहा था कि जब वे स्वदेश चले जायेंगे तो रोहन को उनकी ग़ैर-मौजूदगी कैसे लगेगी? 

यकायक उन्हें एक तरकीब नज़र आई और वे फिर तीन-चार दिन से उस तरकीब का इस्तेमाल करने लगे। अब वे रोहन को न तो अपने लैपटॉप पर  'डू यू नो द मफ्फिन मेन या लकड़ी की काठी' जैसे गीत सुनाते हैं और न उसकी किसी माँग को पूरा करते हैं। कल उन्हें अपनी इस तरकीब का फल भी मिल गया। कल शाम रोहन ने उनसे नाराज़ होकर कहा, "नानू, आई डोंट लव यू।"  

वे ख़ुश हैं कि अब उनका नाती रोहन उनको मिस नहीं करेगा।   

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