स्वागत है नई सदी का

17-05-2012

स्वागत है नई सदी का

सुरेन्द्रनाथ तिवारी

(साभार "उठो पार्थ! गाँडीव संभालो" काव्य संकलन से)


तम के तारों को समेट कर
अवगाहित कार उन्हें उदधि में
यह जो उतर रही है ऊषा,
प्राची क्षितिज के स्वर्णांचल पर।


मानव के अज्ञान तमस को तज
निशीथ को वर्ण-भेद कर,
यह जो अरुण रूप बिखरा है,
भव-भास्वर का उदयाचल पर।


इनमें छिपी हुई हैं किरणें
मानवता के नव-भविष्य की,
इन किरणों से ज्योतित होगा
उन्नत भाल मही का।
स्वागत है नई सदी का।


गंगा-वोल्गा-हडसन मिल
हर मन के मैल मिटाएँ।
क्षितिज बनेगी यह जगती,
टूटेंगी सब सीमाएँ।


मनुजत्व पुन: जागेगा,
वसुधा को कुटुम्ब बनाकर,
मानव का गौरव होंगी,
वेदों की महिम ऋचाएँ।


नरता का उदयाचल होगा,
भारत यह नई सदी का।
स्वागत है नई सदी का।

भारत की अस्मिता अखंडता
भारतीयों का मूल-मंत्र हो।
एक व्यक्ति की नहीं, देश की
उन्नति हेतु सभी तंत्र हों।

प्रजातंत्र के लेबल केवल
दरवाज़ों पर नहीं लगे हों।
सब आयामों में समाज के
सच्चा, जीवित, प्रजातंत्र हो।


जाति-भेद से परे हो भारत
अपना देश सभी का।
स्वागत है नई सदी का।


इन्टरनेट जैसे यंत्रों से
दुनिया एक गाँव बनेगी।
देशों की ही नहीं, दूरी
जब-मन की भी कम होगी।


नव-सौहार्द का क्षितिज खुलेगा
नये मनुज की अगवानी में।
मानवत्व-गौरव हेतु यह
सदी अन्यतम होगी।


मंगल-ग्रह पर मानव-गृह की
नींव पड़ेगी इसी सदी में,
स्वर्ण-काल होगा नरता का,
प्रकृति-नटी का टीका।
स्वागत है नई सदी का।


एक प्रश्न पर साल रहा:


क्या पुन: सभ्यता नंगी होगी?
या मर्यादा के आँचल में छिपी रहेगी मानव-लज्जा?
महुए-चंदन से महकेंगे, घर-आँगन, बगिया, सरेह या
फैक्ट्रियों की धूम-धमक से होगी इस धरती की सज्जा?


क्या उन्नति की भाग-दौड़ में कुचली जाएगी मानवता?
हम परिवार जिसे कहते, क्या रह जाएगी उसकी सत्ता?
नव-शिशु के क्रंदन की खुशियाँ, मिलन-विरह की व्याकुलताएँ,
मानव-मन की मृदुल तंत्रियाँ, प्रणय-प्रेम की परिभाषाएँ।


यंत्रों के कर्कश निनाद में वीणा के स्वर खो जाएँगे?
डूबेगा क्या दिल का सरगम, भूलेंगी मन की भाषाएँ?
प्रश्नों, आशाओं का संगम, मनुज-सभ्यता का चौराहा।
संदेहों, आकाँक्षाओं से, भरे हुए ये अद्‌भुत हैं क्षण।


ये पहली किरणें शताब्दि की, जाने क्या लेकर आईं हैं;
नर-प्रज्ञा के नये शिखर, यह नरता-घाती हिंसक बम?


लेकिन विश्वासों के बल पर
मानवता विकसित होती है।
आओ संदेहों को तज,
मानवता में विश्वास करें हम।
शुभम्‌-स्वप्न से शुरू करें यह
स्वर्ण-शतक जगती का।
स्वागत है नई सदी का।
स्वागत है नई सदी का।

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