सुरंगमा यादव हाइकु - 4
डॉ. सुरंगमा यादव1.
प्रेम फुहार
धरा पर बरसा
नभ का प्यार
2.
बाँह पसार
मेघों की मनुहार
करते वृक्ष
3.
प्यासी है धरा
अब नभ के वीर
समझो पीर
4.
तेज़ हवाएँ
रोकेंगी कब तक
मेघों का रस्ता
5.
मेघों का गाँव
देख सुहानी छाँव
जा बैठी धूप
6.
रिश्तों की धरा
अगोरती बरसें
नेह के मेघ
7.
चीर कलेजा
दिखलाती धरती
मेघ पसीजा
8.
सूखी नलिनी
कोई न पूछे आज
दुःख में बात
9.
बरसों मेघ
शीतल हो जीवन
मिटे तपन
10.
मेघ जौहरी
बाँटे खोल तिजोरी
बूँदों के मोती