सुकून की तलाश है

01-06-2019

सुकून की तलाश है

लवनीत मिश्र


सुकून की तलाश है,
मन ख़ुद से हताश है,
उलझी है ज़िंदगी,
हर ख़्वाहिश उदास है।

 

ठहर सा गया है,
ख़्वाबों का आना,
अँधेरा ही दिखता है,
है सबकुछ विराना।

 

ना जाने फिर क्यूँ,
कुछ पाने की आस है,
सच ही कहूँ मुझको,
सुकून की तलाश है।

 

पाने से ज़्यादा,
तो खोने का ग़म है,
सह लूँ जुदाई अब,
नहीं इतना दम है।

 

मायूस दिल अब,
ख़ुद से निराश है,
सच ही कहूँ मुझको,
सुकून की तलाश है।

 

उलझी है जिंदगी,
हर ख़्वाहिश उदास है।

1 टिप्पणियाँ

  • 15 Jun, 2019 07:36 AM

    sunder rachna....... सुकून की तलाश है।

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