सोच कर देखो

15-08-2021

सोच कर देखो

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 187, अगस्त द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

दो महत्वपूर्ण काम
राजनीति और अध्यात्म,
जो दशा और दिशा
तय करते हैं
किसी भी राष्ट्र और समाज की,
 
छोड़ दिये हैं हमने . . .
 
अवसरवादियों, बाहुबलियों,
चाटुकारों, सनकियों,
ठगों, बेइमानों और अनपढ़ों
के हवाले,
 
अध्यात्म में अंधभक्ति पर ज़ोर
और राजनीति में अपराध का बोलबाला
नतीजा है इसका।

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