स्मृति  

बृजेश सिंह (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

मूल कवि: युआन तियान
अंग्रेज़ी अनुवाद: डेनिस मेर (Memory)
हिन्दी अनुवाद: बृजेश सिंह

 

मानवीय स्मृति है जैसे जल   
भूमिगत नदी में बहे कल-कल, 
जल है शाश्वत, मृत्यु से परे है इसका अस्तित्व,
बहता है अनवरत बिना थके पल-पल हर पल;
धरा पर, वायुमंडल में ।
 
इतिहास-स्मृति जैसे महासागर 
जो कभी रहता नहीं अदृश्य,
अगर पृथ्वी हो जाये अस्तित्व-विहीन,  
तो यह बहेगा किसी अन्य ग्रह पर; 
चिर सत्य है यह ।
 
ईश-स्मृति
होती है हमेशा मौन,
अवाक्‌ आकाश-सदृश,
जब हो रहा होता सत्य का हनन;
ईश-स्मृति होती है, मौन, निःशब्द, चकित। 
 
युद्ध-स्मृति है 
एक सुनसान क़ब्रिस्तान,  
निगल गया जिसे बालू का दल-दल,
मिसाइल के टुकड़े चाहे जंग खा बिखर जाएँ; 
पर दु:ख रहेगा हर पल ।
 
स्मरण नहीं करते वृक्ष कभी, अपना हरा सौन्दर्य,  
हालाँकि वे छिपाये हैं इसे
अपने गदराए वलयों में;
जो दिखेंगे पूरी शिद्दत से
आरे की निर्दयी धार पर।


(कवि युआन तिआन )
जापान में अध्यापन कर रहे चीन में जन्में कवि युआन तुआन की इस कविता को अंग्रेज़ी में कवि डेनिस मेर ने  MEMORY नाम से अनूदित किया  है, जिसे बृजेश सिंह ने ‘स्मृति’ नाम से हिंदी में अनूदित किया है ।  
आपके सुलभ सन्दर्भ हेतु कवि डेनिस मेर का अंग्रेज़ी संस्करण 


MEMORY


Like a subterranean river
A person’s memory purls along
Never knowing weariness
It flows beyond death
 
The memory of history
Is like a great ocean never disappearing
Though earth itself may be destroyed
It will flow off toward other planets
 
The memory of god
Is like the ever-silent sky
Never uttering a word
Even when the truth is under attack
 
The memory of war
Is a graveyard covered with shifting sands
Even when shrapnel rusts away
Sorrow will remain in that place
 
Trees cannot remember the color green
Though all are concealed in their growth rings
It will be exposed by a steel saw, without mercy

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