शोभा श्रीवास्तव मुक्तक - 003
डॉ. शोभा श्रीवास्तव(संदर्भ: स्वतन्त्रता दिवस)
१.
ऐ मेरे हिन्द की धरती तुझे ख़ूँ से सजाएँगे ।
तेरी चाहत में जो ली थी वो क़समें निभाएँगे॥
तू वो दीपक है जो जलता रहेगा आँधियों में भी,
पतंगा बन के अपनी जान हम तुझ पर लुटाएँगे।
२.
तुम्हारे साथ भारत माता के विश्वास का बल है।
भुजाओं में मचलती वीरता की आस का बल है॥
हो तुम संतान झांसी रानी के, वीरों के वंशज हो,
तुम्हारे ख़ून में गौरव भरे इतिहास का बल है।
३.
दिशाओ वीरता के, शौर्य के अब गीत गाना तुम।
घटाओ, गुज़रो जब सरहद से अपना सर झुकाना तुम
वहीं तैनात हैं भारत की धरती के सजग प्रहरी,
हवाओ उनके क़दमों की ज़रा सी धूल लाना तुम॥
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