शिक्षक

निलेश जोशी 'विनायका' (अंक: 189, सितम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

नव आदर्श स्थापित करने
बचपन कई सँवारता शिक्षक
बाग़वान बनकर बाग़ों का
सुंदर पुष्प खिलाता शिक्षक।
 
जीवन के घोर अँधेरे में
दीपक बनकर आता है
किरण ज्ञान की फैलाकर
जीवन रोशन कर जाता है।
 
अक्षर अक्षर हमें सिखा कर
शब्द शब्द का अर्थ बता कर
कभी प्यार तो कभी डपट कर
हमको ज्ञान कराता शिक्षक।
 
खेल खेल में जोड़ घटाना
कथा कहानी में इतिहास
धरती का भूगोल बताने
सैर करा लाता है शिक्षक।
 
ना भूख किसी दौलत की इसको
उपहारों की ना कोई आस
ज्ञान रूपी संचित धन देकर 
फैलाता शिक्षक ज्ञान प्रकाश।
 
गीली मिट्टी का कुंभकार बन
इंसान नेक बनाता शिक्षक
अनगढ़ पत्थर को तराशकर
सुंदर रूप बनाता शिक्षक।
 
शिष्यों की उपलब्धियों से
फूला नहीं समाता शिक्षक
सुखी समृद्ध हो देश हमारा
यही चाह रखता है शिक्षक।

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