शिक्षा प्रणाली
आमिर दीवानये जाने कैसी
शिक्षा प्रणाली हमने रची है
शैतान की ख़ाला है,
चुड़ैल की चची है।
बच्चोम से भारी हैं बस्ते
जाने क्यूँकर ढोते सारे रस्ते
दसियों विषयों की रोज़ पढ़ाई
मानो हिमालय की दुर्गम चढ़ाई
सारा कुछ सीखा देने की
अंधी होड़ सी मची है
ये जाने कैसी
शिक्षा प्रणाली हमने रची है
शैतान की ख़ाला है,
चुड़ैल की चची है।
जब पुस्तके और स्मृति ही थी
ज्ञान का आधार
तब इस पद्धति में
रहा होगा कुछ सार
पर अब जब तकनीक ने
बदल दिया है खेल सारा
और उँगलियों बटन पे पड़ते ही
खुल जाता सूचनाओं का भंडारा
ऐसे में रटवाने पे ज़ोर तो
कोरी नासमझी है
ये जाने कैसी
शिक्षा प्रणाली हमने रची है
शैतान की ख़ाला है,
चुड़ैल की चची है।
सबको भली लगती जो
लिखावट हो सुन्दर
और ये कभी रही था
काम पाने का भी ज़रूरी हुनर
पर अब टाइपिंग ने कर
दिया है काम बड़ा आसान
और ख़त बुरे भी हों
अब तो नहीं कुछ बड़ा नुक्सान
अब तो जिसे पढ़ा भर जा सके
बस वही लिखावट अच्छी है
ये जाने कैसी
शिक्षा प्रणाली हमने रची है
शैतान की ख़ाला है,
चुड़ैल की चची है।
अंत में क्या कहें इस परीक्षा,
अंक और परिणाम की व्यवस्था पर
ठीक होगा चुप चाप ही कुछ
आँसू बहा लेना इस व्यथा पर
बेजोड़, अद्वितीय और
अनूठा ही है हर बच्चा अगर
तो काहे फिर होड़ और स्पर्धा
इनके ज़हनों में घोलते हो ज़हर
छोड़ भी दो थोड़ी बहुत
मासूमियत जो इनमे बची है
ये जाने कैसी
शिक्षा प्रणाली हमने रची है
शैतान की ख़ाला है,
चुड़ैल की चची है।