शायर बहुत हुए हैं जो अख़बार में नहीं

01-05-2021

शायर बहुत हुए हैं जो अख़बार में नहीं

निज़ाम-फतेहपुरी (अंक: 180, मई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

ग़ज़ल-  221  2121  1221  212
 
शायर बहुत हुए हैं जो अख़बार में नहीं
ऐसी ग़ज़ल कहो जो हो बाज़ार में नहीं
 
दिल से मिटा के नफ़रतें मिलकर रहो सदा
जो लुत्फ़ प्यार में है वो तक़रार में नहीं
 
अपनी कमी कहें की ये क़िस्मत का खेल है
साहिल पे कश्ती डूबी है मझधार में नहीं
 
पहचान होती वीरों की मैदान-ए-जंग में
जो मर्द है वो भागता शलवार में नहीं
 
आकर चले गए हैं सिकंदर बहुत यहाँ
तुम चीज़ क्या अमर कोई संसार में नहीं
 
माया का मोह छोड़ के तू देख तो ज़रा
जो है मज़ा फ़क़ीरी में परिवार में नहीं
 
जिस ताज पर निज़ाम तुझे इतना नाज़ है
वो इक जगह रहा किसी दरबार में नहीं
 
                                                   – निज़ाम-फतेहपुरी

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