शायद मैं आग हूँ!

19-12-2014

शायद मैं आग हूँ!

निखिल विक्रम सिंह

शायद मैं आग हूँ?
एक असिमित प्यास हूँ, उत्साहित दिलों की आस हूँ;
सूर्य का प्रकाश हूँ, एक सुंदर एहसास हूँ;
सिंह की दहाड़ हूँ, एक ऊँचा पहाड़ हूँ;
छोटी चिंगारी की विशाल भड़क हूँ,
मैं तो विश्व की सबसे व्यस्त सड़क हूँ;
शायद मैं आग हूँ?

भारी चट्टान हूँ, देश और समाज का उत्थान हूँ;
एक संकल्प हूँ, एक त्याग हूँ;
मैं आराम नही, एक भागम - भाग हूँ;
संघर्ष हूँ, एक बहुमुल्य परामर्श हूँ;
मैं औषधि हूँ, ना कि किसी तूफान की त्रासदी हूँ;
शायद मैं आग हूँ?

मैं आज का भविष्य, और वक्त की माँग हूँ;
जद्दो - जहद का परिणाम हूँ;
मै सुंदर व्यवहार हूँ, और एक क़ातिल प्रहार हूँ;
अनेक रोगों की दवा हूँ, एक स्वछंद हवा हूँ;
शायद मैं आग हूँ?


नदी की तेज़ धार हूँ, रक्षकों की तलवार हूँ;
मैं लाचारी का सटीक उपचार हूँ;
गायक का गला हूँ, एक मूल्यवान कलाकृति की कला हूँ;
मैं एक लम्बी कहानी हूँ,
ना कि किसी उपन्यास का संक्षिप्त सार हूँ;
परिस्थितियों का गुणा - भाग हूँ -
अब मुझे लगता है कि -


शायद मैं आग हूँ !
शायद मैं आग हूँ !!

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