शत -शत प्रणाम

16-08-2008

शत -शत प्रणाम

शशि पाधा

पर्वतों से अडिग हैं हौसले जिनके
चट्टानों से दृढ़ हैं संकल्प जिनके
 भारत के उन वीर जवानों को 
जन मानस का शत- शत प्रणाम।

 

बर्फीली हवायों को चीरते बदन इनके
दुर्गम पर्वतों पर दौड़ते चरण इनके
दुशमन की ताक में लगे नयन इनके
देश रक्षा में बलिदान प्राण जिनके

 

भारत के उन वीर जवानों को 
जन मानस का शत- शत प्रणाम।

 

रक्त कण से सरहदें चीरते जाते
रणघोष से मंज़िलें जीतते जाते
हर गोली को हँसते झेलते जाते
शत्रु के सीने भेदते जाते

 

भारत के उन वीर जवानों को 
जन मानस का शत- शत प्रणाम।

 

तिरंगे की शान में है शान इनकी
सजग प्रहरी की है पहचान इनकी
युद्धभूमि ही है कर्मभूमि जिनकी
मातृभूमि ही माँ की गोद जिनकी

 

भारत के उन वीर जवानों को 
जन मानस का शत- शत प्रणाम।

 

हर पग पर शत्रु का संहार करें
भारत माँ की जय-जयकार करें
वीर अभिमन्यु से यह रणबाँकुरे
निर्भय हो हर चक्रव्यूह पार करें

 

भारत के उन वीर जवानों को 
जन मानस का शत- शत प्रणाम।

 

ए सीमाओं के रक्षक शूरवीरो !
स्वतन्त्रता ज्योति तुम्हारे हाथ है
हम याद दिलायें हर पल तुमको
गर्वित यह देश तुम्हारे साथ है

 

ए भारत के वीर जवानों तुमको
जन मानस का शत-शत प्रणाम।

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