शब्द (डॉ. प्रभा मजुमदार)

21-03-2009

शब्द (डॉ. प्रभा मजुमदार)

डॉ. प्रभा मुजुमदार

मिट्टी से सोच
आकाश की कल्पना
वक़्त से लेकर
हवा, धूप और बरसात
उग आया है
शब्दों का अंकुर
कागज़ की धरा पर
समय के एक छोटे से
कालखंड को जीता
ज़मीन के छोटे से टुकड़े पर
जगता और पनपता
फिर भी जुड़ा हुआ है
अतीत और आगत से
मिट्टी की
व्यापकता से।

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