सवेरा

आलोक कौशिक (अंक: 175, फरवरी द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

आता है जब सूरज
अँधेरा भाग जाता है 
चहकती हैं चिड़ियाँ 
सवेरा हो जाता है 
 
सुबह सवेरे उठने से 
स्वस्थ रहता है तन 
सूर्योदय की बेला में 
चलता है शीतल पवन 
 
जो जागते हैं सवेरे 
करते हैं अपना काम 
जीवन में केवल वही
बन पाते हैं महान् 

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