सबको  सबकुछ रहबर   नहीं देता

01-06-2021

सबको  सबकुछ रहबर   नहीं देता

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 182, जून प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

फ़ाई     फ़ाई      फ़ाई  मुफ़ाईलुन
22       22        22    1222
  
सबको  सबकुछ रहबर   नहीं देता 
दिल   देता   है   तो  घर  नहीं देता
  
कोई   मख़मल  पे  सो  नहीं  पाता
कुछ   नींदों   को  बिस्तर नहीं देता
  
है हम  पर रहमत  भी  बहुत करता
रब   हम  को  झोलीभर  नहीं  देता
   
सबकुछ मिलकर भी प्यास होती है
सबको एक  सा दिलवर  नहीं  देता 
  
'बेघर'  कुछ   तो  इंसाf  करता  है 
मौला    हरदम    ठोकर   नहीं  देता

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