संगत

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

उसने बड़े शौक़ से एक कुत्ते का पिल्ला खरीदा। उम्दा नस्ल का होने के बावजूद वह पिल्ला उसके आदेशों की अनुपालना करने में कोई न कोई भूल कर देता था। फलस्वरूप, वह उस कुत्ते को तरह-तरह की यातनाएँ देता था। 

बहरहाल, अब वह कुत्ता डेढ़ वर्ष का हो चुका है। वह ख़ुश है कि अब वह अपने मालिक के इशारों को बख़ूबी समझने लगा है। असली ख़ुशी उसे इस बात की है कि इन डेढ़ वर्षों के दौरान उसका मालिक भी कुछ-कुछ उस जैसा हो गया है। 

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