संवेदना

15-01-2021

संवेदना

निर्मल कुमार दे (अंक: 173, जनवरी द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

दो साल भी नहीं हुए थे शादी के, किरण विधवा हो गई। अभी तो मात्र बीस साल है उम्र उसकी। वैधव्य जीवन का दुख़ भोग चुकी सत्तर साल की तुलसी की रूह काँप गई जब उसने सुना कि  पच्चीस साल का रंजन बाइक एक्सीडेंट में मारा गया।

पास पड़ोस के लोग जमा हो गए रंजन के घर के सामने। लोगों  का, ख़ासकर औरतों का बुरा हाल हो गया जब सुना किरण का पूरा महीना चल रहा है। एक सप्ताह के अंदर किरण की डिलीवरी होने वाली है।

अम्लान जब घर आया तो माँ को रोते देख आश्चर्य हुआ, "क्या हुआ माँ,क्यों रो रही हो?" अम्लान ने पूछा।

माँ ने आँसू पोंछे और कहा, "बेटा,रंजन की मृत्यु हो गई।"

"कितना दुर्भाग्य है! माँ बाप का इकलौता बेटा, भरी जवानी में  माँ बाप और जवान बीबी को बेसहारा छोड़ चला गया।"

"बेटा, तुम पढ़े-लिखे हो। तुमने  हमारी सारी व्यथा को देखा है। दुख और लाचारी में तुम्हें मैंने खड़ा किया है। तुम मेरी एक बात सुनो।"

"हाँ माँ, बोलो, क्या बात बोलना चाहती हो?"

अम्लान ने वॉटर फ़िल्टर से ख़ुद एक ग्लास पानी निकाला, पानी पीकर माँ के पास बैठ गया।

माँ ने कहा, "कुछ दिनों के बाद किरण के माता-पिता से तुम ख़ुद मिलना, साथ ही रंजन के माता पिता से भी।”

"मिलूँगा माँ।"

"अगर माता-पिता और सास-ससुर को आपत्ति न हो, तो  किरण के पुनर्विवाह में मदद करना," तुलसी देवी ने कहा।

"माँ अगर किरण राज़ी न हुई तो,” अम्लान ने टोका।

"उसकी उम्र अभी कच्ची है। अपने दुख भरे भविष्य की कल्पना नहीं कर पाएगी। समाज परिवार  रीति-रिवाज़ की बात कर  लोग उसे  दिग्भ्रमित भी कर सकते हैं, ख़ुद माँ-बाप निर्णय नहीं ले पाएँगे। सही सलाह देने वाले लोग कम हैं। तुम शिक्षित और खुले विचार के हो। मैं चाहती हूँ तुम आगे बढ़ कर सही सलाह दो।"

अपनी माँ की बातों से अम्लान ख़ुश भी हुआ, चकित भी।

"अच्छा माँ, एक बात पूछता हूँ, तुम इतनी हमदर्द क्यों? तुमने बताया था कि रंजन के पिताजी ने भी तुम्हारे ख़िलाफ़ ग़लत बात बोला था।”

"बेटा, पाप से घृणा करना चाहिए, पापी से नहीं। मेरी हमदर्दी किरण और उसकी बदक़िस्मती से है। किरण के ससुर और सास भी उन लोगों में है जो मेरे वैधव्य पर नमक छिड़कने से बाज़ नहीं आए।"

“माँ, जिन लोगों ने भी तुम्हें सताया, उन लोगों के लिए तुम्हारी हमदर्दी क्यों?”

“बेटा, घृणा से घृणा का अंत नहीं होता। उम्रदराज़ विधवा को डायन और जवान विधवा को चरित्रहीन कह कर बदनाम करना कोई नई बात नहीं है। जब तक समाज में अशिक्षा रहेगी, जलनखोर और चुगलखोर लोग रहेंगे, समाज का विकास नहीं होगा।”

“ठीक है माँ, अगले महीने तक देख लेता हूँ,” अम्लान ने कहा।

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