समझ गए हम

प्रभुदयाल श्रीवास्तव (अंक: 182, जून प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

पहली कक्षा पास हो गए,
कक्षा दो में पहुँचे हम।
पढ़ा लिखा तो बहुत- बहुत था,
फिर भी नंबर आए कम।
               ख़ुशी पास होने की तो थी,
               दुख था नंबर कम आए।
               अपने संग साथियों में हम,
               कम नंबर पर शर्माए।
               न जाने क्या हुआ, न जाने,
               किसने मुझ पर ढाए सितम।
 
कारण खोजा तो अपने ही,
भीतर कमियाँ ढेर मिलीं।
कभी नियम से हर दिन हमने,
पाठ्य पुस्तकें पढ़ी नहीं।
बिल्कुल सिर चढ़ आई परीक्षा,
तभी लगाया पूरा दम।
                    रात-रात भर जगे, सुबह से,
                    तन मन में आलस आया।
                    और परीक्षा में अधकचरा,
                    याद रहा जो,लिख पाया।
                   समझ गए हम "हर दिन पढ़ना"
                    पढ़ने का है यही नियम।

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