सम-नागरिकता

01-03-2020

सम-नागरिकता

वेद भूषण त्रिपाठी (अंक: 151, मार्च प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

राष्ट्रीय गौरव भारत महान 
जय भारत जय संविधान।


अम्बेदकर संविधान-नायक
जन-जीवन समृद्धि परिचायक।
भारतीय संस्कृति महान
सद्‌भावी विचार महान।


मानवता को कुत्सित करना
मानव का सद्कर्म नहीं ।
मानवता को धूमिल करना 
मानव का सद् धर्म नहीं ।


शुभता का संदेश न खोना
जन-जीवन सदभाव सजोना।
राष्ट्रीय सम्पत्ति के भक्षक
दुष्कर्मो के बनों न रक्षक।


मानव-जीवन दैवीय-वरदान
जन-जन का स्नेह अवदान।
सम-नागरिकता अधिकार
संविधान का न करो प्रतिकार।


सम-नागरिकता का प्रविधान 
जन-जन का भारतीय संविधान।
रास्ट्रीय गौरव भारत  महान
जय भारत जय संविधान।

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