सजेंगे ये झूले

01-09-2021

सजेंगे ये झूले

मईनुदीन कोहरी ’नाचीज़’ (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

घर - घर, गाँव - गली झूलेंगे झूले।
नन्ही - नन्ही, प्यारी - प्यारी बेटियाँ॥ 
 
झूलो के संग  बारी - बारी  झूलें।
हँसती-गाती छोटी-मोटी बेटियाँ॥ 
 
पेड़ - चौपाल पर सजेंगे  ये झूले।
मस्त - मस्त सी इतराती  बेटियाँ॥ 
 
पापा-मम्मी घर-आँगन बाँधे  झूले।
रिमझिम के संग नाचे गाएँ बेटियाँ।। 
 
सावन की फुहारों के आनन्द लें झूलें।
कभी खड़े-बैठे संग-संग झूलें बेटियाँ॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें