साहित्य चलचित्र है
आज का, अतीत का
संस्कारों की रीत का
युगों के गीत का
साहित्य में वायु के
ढोलक थाप है
साहित्य में फसलों का
मनमोहक नाच है
साहित्य में प्रकृति
जीवन गीत गाती है
साहित्य में धरती
नित नूतन रंग लुटाती है
साहित्य नव सृजन है
तूफ़ानों की गर्जन है
कृषकों का क्रन्दन है
क्रान्ति की जीत का
साहित्य रणघोष है
रणबांकुरों का जोश है
और आम जन रोष है
साहित्य संतों के
मुख का फूल है
साहित्य हर दानव के
दिल का शूल है
साहित्य मानव का
सुरक्षा त्रिशूल है