रुत बहारों की सुहानी चाहिए

15-07-2020

रुत बहारों की सुहानी चाहिए

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 160, जुलाई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

रुत बहारों की सुहानी चाहिए 
चाँद तारे रात रानी चाहिए


कोई चादर प्यार से दे दो मुझे 
रंग उसका ज़ाफ़रानी चाहिए 


ख़्वाब हों जब चाँद तारों से परे 
हौसले भी आसमानी चाहिए 


कौन कहता है असर होगा नहीं
दिल से उठ के बात आनी चाहिए


जिस ग़ज़ल से ज़िंदगी की जीत हो
वो ग़ज़ल ही गुनगुनानी चाहिए 


भूल जाना इस ज़माने के सितम 
रात में तो नींद आनी चाहिए 

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