रोटी

सागर कमल

ओ रोटी के घेरे गोल
आँख मिला मुझसे तू बोल!

तू मानव की चिर जिज्ञासा
आँख - मिचौली तेरी आशा

राज़ मगर अब सारे खोल
ओ रोटी के घेरे गोल
आँख मिला मुझसे तू बोल!

तू साँसों का अंतिम पाश
उठे, गिरे कितने इतिहास

ऐसा कुछ तेरा भूगोल
ओ रोटी के घेरे गोल
आँख मिला मुझसे तू बोल!

नाश हो, निर्माण हो
स्वप्न हो, अरमान हो

सारा जीवन तेरा मोल
ओ रोटी के घेरे गोल
आँख मिला मुझसे तू बोल!

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