रमा द्विवेदी – हाइकु – 001
डॉ. रमा द्विवेदी1.
कोमल मन
खुद रह के प्यासा
प्याऊ चलाए।
2.
पेट की भूख
समझे नादान भी
करुणा बाँटे।
3.
रेहन पड़ी
होरी की हर साँस
गोदान आस।
4.
आए हैं मेघ
बनके संवर के
पाहुन लगें।
5.
नहीं करते
संवेदना का सौदा
रोपते पौधा।
6.
ममता न्यारी
श्रम का भार हल्का
संतान प्यारी।
7.
पीठ में बच्चा
भारी बोझ उठाती
माँ जीत जाती।
8.
देते दुलार
डैनों में छुपाकर
करते प्यार।
9.
आंधी दौड़ती
धूल -घाघरा उठा
नृत्य करती।
10.
चुगली करी
चपल चंचला ने
मेघ पिया की।