रक्तदान

01-07-2021

रक्तदान

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 184, जुलाई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

सरसी छंद

 
आज मर रहा है वो देखो, 
नहीं बदन में रक्त।
जीवन के उसको लाले हैं, 
बुरा चल रहा वक़्त॥
आज मृत्यु शैया पर लेटा, 
देखो रक्तविहीन।  
काश कोई  जीवन लौटा दे, 
तन मन से है हीन॥
 
वो भी है आँखों का तारा, 
अपना भाई बंध।
बच जाता जीवन उसका भी, 
होता रक्त प्रबंध॥
दान रक्त का कर दो भाई, 
दे दो जीवन दान।
रक्त से बढ़ कर नहीं जगत में,
जीवन का आधान॥
 
वही कहाता ईश्वर है जो, 
देता जीवन दान।  
रक्त दान कर तुम बन जाओ, 
कलयुग में भगवान॥
करो लाख ईश्वर की पूजा, 
नहीं मिले वरदान।
अपने रक्त का दान करो तुम,
हों प्रसन्न भगवान॥
 
दान करोड़ों धन का देकर, 
नहीं मिलेगा पुण्य।
चंद रक्त की बूँदें दे दो, 
पुण्य मिले अक्षुण्य॥
आर्त कराहें सुनकर प्रियवर, 
द्रवित हुए गर आप।
रक्त दान का कर दो भाई, 
मिटें सभी संताप॥
 
बन कृतज्ञ जीवन भर कोई, 
अपना बने अनन्य।
लाख दुआएँ मिलेंगी तुमको, 
जीवन होगा धन्य॥
चंद रक्त की बूँदें देकर, 
कर दोगे अहसान।
तन मन से परिवार करेगा, 
जीवन भर सम्मान॥
 
रक्त की आशा में बैठा है, 
दुखी और लाचार।
चंद रक्त की बूँदें तेरी, 
जीवन का आधार॥
आओ प्यारे बंधु हम सब, 
आज करें संकल्प।
रक्त दान कर हम सब खोजें, 
जीवन भरे विकल्प॥

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