राजीव कुमार – 001

01-07-2021

राजीव कुमार – 001

राजीव कुमार (अंक: 184, जुलाई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

(1)
हज़ार राहें,
मिली न मंज़िल तो,
गुम हो गया ?
(2)
कश्मकश
दिलो-दिमाग़ पर
फुफकारता।
(3)
रास्ता रोका,
उलझन से ख़ौफ़
घायल हुआ
(4)
उम्मीद बोली,
तु रुक क्यों गया,
मैं मरी नहीं
(5)
क़दम बढ़ा
मंज़िल की ओर
हौसला रख।
 

1 टिप्पणियाँ

  • 10 Aug, 2022 08:57 AM

    सुन्दर हाइकु

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