राणा तुमको शत-शत प्रणाम..
विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'राणा तुमको शत-शत प्रणाम॥
थे वीर शिरोमणि त्यागी तुम,
माँ के सच्चे अनुरागी तुम
ना भटके लोभ-प्रलोभन में,
रहे स्वतंत्रता के हामी तुम
वन-वन भटके ना बने गुलाम॥
राणा तुमको....
धरती माँ के सच्चे सपूत,
थे धर्म-ध्वजा के तुम वाहक
मित्रों को शीतल शशि जैसे,
दुश्मन को अग्नि से दाहक
अरिदल में भगदड़ मच जाती,
चेतक की खींचे जब लगाम॥
राणा तुमको...
कूंचा-कूंचा अब भी,
तेरा यश गाये
तीर्थ बन गई रक्त-तलाई,
सब आकर शीश झुकाएँ
हल्दीघाटी धन्य हो गई,पाकर तेरा नाम॥
राणा तुमको...
आन-वान ना तजि,
तजे थे तुमने भोग रसीले
हम गर्विले तुम पर राणा,
हे साहसी, वीर, हठीले
था मेवाड़ी प्रखर-सूर्य,
जो चमका आठों - याम॥
राणा तुमको शत-शत प्रणाम॥