प्यार कब शान्ति बन गया!

15-04-2021

प्यार कब शान्ति बन गया!

महेश रौतेला (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

प्यार कब शान्ति बन गया!प्यार कब शान्ति बन गया
पता ही नहीं चला,
प्यार की सब संवेदनाएँ
कब ढीली हो गयीं
पता ही नहीं चला!
 
शब्दों का भार
कब समाप्त हुआ
पता ही नहीं चला।
 
कब प्यार, बड़ा हो गया
कब फूलों सा झड़ गया,
कब बोलना भारमुक्त हो गया
पता ही नहीं चला!
 
राहों की बनावट कब सरल हुयी
आना-जाना कब आदत बन गयी,
प्यार कब शान्ति में बदल गया
पता ही नहीं चला!

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