प्रियतम 

15-06-2020

प्रियतम 

कविता (अंक: 158, जून द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

मेरा प्रियतम,
डरता है
खोने से मुझको।
प्रिय!
मुझको खोने का 
डर है, तुमको?
पर तुमने पाया ही
कब था, मुझको?


पाना और खोना तो 
वस्तु का होता है,
मैं वस्तु नहीं 
ज़िदंगी से भरी
प्यार की ख़ुश्बू हूँ।
प्यार का मीठा,
रेशम-सा कोमल
अनजाना- सा
अहसास हूँ।


तुम मुझे खो, 
या 
पा नहीं सकते
सिर्फ़ महसूस 
कर सकते हो।
मेरे अहसास से 
महकता है 
गर तुम्हारा मन
समझो मैं समा गई हूँ 
तुम्हारे अतंर में।...


मुझको खोने के 
डर को भूल कर 
महसूस करो मुझको 
अपने अंतर में
वहीं हूँ मैं!


तुम्हारी मंद-मंद 
मधुर मुस्कान मे
बसेरा है मेरा
भोर की उजली
किरण सरीखी 
सोच हूँ मैं!


मन से मन का 
मिलन है हमारा
मीलों की दूरियाँ
हों भले दरम्यान 
पर हम दूर कहाँ...
 

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