प्रिय (नीरज सक्सेना)
नीरज सक्सेनावर्ष मिलन के जो भी बीते,
जान से प्यारे अतीत प्रिय
सुख दुःख की साझीदारी
तुम हर लम्हें की प्रीत प्रिय
कभी खुशी तो ग़म कभी
रही जीवन की संगीत प्रिय
दुर्गम कभी सुगम से पल
तुझ संग मन की जीत प्रिय
इस जीवन की एक धरोहर
अपने संगम का गीत प्रिय
पलकों के सजते सपनों की
तुम ही हो मेरी मीत प्रिय
रिमझिम सावन संग सलोना
ये जीवन हो व्यतीत प्रिय
मन हारे तो जो निरस्त करें
वो तेरा अनमोल साथ प्रिय
उजियारे आकर्षित करती
तुझमें उष्म रवि सी बात प्रिय
नेह से शीतल स्पर्श तुम्हारा
तुम सजी चाँदनी रात प्रिय
वर्ष मिलन के जो भी बीते,
जान से प्यारे अतीत प्रिय
सुख दुःख की साझीदारी
तुम हर लम्हें की प्रीत प्रिय
दुर्गम कभी सुगम से पल
तुझ संग मन की जीत प्रिय