प्रार्थना आए सद्बुद्धि

01-05-2020

प्रार्थना आए सद्बुद्धि

अभिनव कुमार (अंक: 155, मई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

संन्यासी "साधु",
है देश का जादू।


संस्कृत का शब्द,
तन में जैसे रक्त।


तप की मिसाल,
संस्कृति की ढाल।


त्याग का जीवन,
सम हरदम है मन।


सामान्य अर्थ 'सज्जन व्यक्ति',
ईश्वर की अनथक भक्ति।


मूल उद्देश्य मार्गदर्शन,
समाज का पथप्रदर्शन।


धर्म का चले मार्ग,
बिल्कुल बेदाग़।


मोक्ष करता है प्राप्त,
आनंद आध्यात्म।


साधना वरदान,
जग को दे ज्ञान।


हुई निर्मम थी हत्या,
मानवता शर्मिंदा।


उनका बलिदान,
सब आहत परेशान।


हिन्द हुआ कलंकित,
दहशत व चिंतित।


अमानवीय दुष्कृत्य,
बर्बर व निंदनीय।


महाराष्ट्र का पालघर,
साधुओं की हत्या वध।


ग़ुस्से की लहर,
अमृत में ज़हर।


भीड़तंत्र षड्यंत्र,
हैरान न्यायतंत्र।


निहत्थे वृद्ध साधु,
भीड़ हुई बेक़ाबू।


बेरहमी से हमला,
दर्पण हुआ धुँधला।


हुई मॉब लिंचिंग,
आती है घिन्न।


कारण अफ़वाह,
शैतान दुष्ट राह।


लाठी डंडों से वार,
काँपा घर बार।


मच गया हड़कंप,
देश सुन्न व दंग।


अपराधी की क्या सोच?
एक पल भी ना संकोच !


दोषियों के ख़िलाफ़,
कठोर दंड इंसाफ़।


कहाँ गए संस्कार?
रिश्ते बंजर बेकार।


पशुवत क्रूर दृश्य,
कहाँ गुरु शिष्य?


पत्थर हुए दिल,
गया मैं हूँ हिल।


दिया झकझोर,
ये कैसा दौर?


दुर्भाग्य की बात,
नम हैं जज़्बात।


क्रूरता की हद,
हूँ मैं निःशब्द।


आए दिलों में शुद्धि,
प्रार्थना आए सद्बुद्धि,

 

प्रार्थना आए सद्बुद्धि।

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