ओ! री! गौरैया

01-04-2020

ओ! री! गौरैया

पुष्पा मेहरा (अंक: 153, अप्रैल प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

१.
घर में जन्मीं 
खाई खेलीं औ बढ़ीं 
तुम गौरैया।
 २.   
सूने झरोखे 
चूँ –चूँ ना फुदकन 
उजड़े नीड़।
३.
विकास-जाल
फाँस ले गया प्यारी 
नन्ही गौरैया।
४.
ख़ाली सकोरे 
निज व्यथा सुनाते
सुनो! गौरैया।
५. 
मस्त गौरैया                             
ज़रा सी आहट पा    
फुर्र हो जाती।
६.
बिखरा दाना 
देख आ चहकना 
मिश्री घोलना। 
७.
सूने अँगना
फागुनी धूप आई 
लौटो चिरैया।
८.
जान ना पाई  
कौन देश भागी तू 
ओ! री! गौरैया।  
९.
यादें गौरैया 
तारों पर लटकीं  
झूलें हवा में।
१०.
तिनके धागे 
जोड़–जोड़ रखे है 
‘कनु’ हमारी।

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