ओ रंगरेज़ 

01-11-2020

ओ रंगरेज़ 

कविता (अंक: 168, नवम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

काग़ज़ सा कोरा
मन है मेरा
तुम बन रंगरेज़ 
इसे रंग जाओ ना
 
ओढ़ ली चूनर 
तेरे नाम की 
ओ रंगरेज़वा!
मुझे अपने प्रेम  में 
रंग जाओ ना . . .
 
ओ रंगरेज़वा!
सजना मोरे
रंग देना मोहे ऐसे 
तेरा रंग 
ना छूटे मुझसे 
ऐसे रंग, रंग जाओ ना . . .
 
ऐसा हो प्रेम रंग 
सजे अंग-अंग 
मन झूमें, बन मलंग
ओ रंगरेज़वा!
मुझे अपने प्रीत में 
रंग जाओ ना 

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