ओ मातृभूमि तेरी जय होये

14-01-2016

ओ मातृभूमि तेरी जय होये

उपेन्द्र 'परवाज़'

मस्तकों के झुण्ड चल पड़े है अब प्रलय होये,
ओ मातृभूमि तेरी जय होये जय होये।

बढ़ चले है बढ़ चले है सिंह से दहाड़कर
हाथियों के झुण्ड को वो वेग से पछाड़कर
सिंह केसरी है इनका किसका भय होये
ओ मातृभूमि तेरी जय होये जय होये।

सोच न कर हे माते वीर तेरे लाल है
आँख जो तुझपर उठाये दुश्मनों के काल है
दुश्मनों के वक्ष फाड़कर लायेंगे विजय होये
ओ मातृभूमि तेरी जय होये जय होये।

अस्त्र शस्त्र यह तो सब युद्ध के संबल है
विजय वही पता बलिदान जिसका बल है
आँच ना आयेगी चाहे तुझपे अब प्रलय होये
ओ मातृभूमि तेरी जय होये जय होये।

युद्ध के ही गीत है युद्ध का ही गान है
खतरे में पड़ा जब तेरा सम्मान है
रणचंडी के धुनों की अब यही तो लय होये
ओ मातृभूमि तेरी जय होये जय होये।

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