नये अल्फ़ाज़

15-03-2021

नये अल्फ़ाज़

देव दीपक (अंक: 177, मार्च द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

1.
काग़ज़ के फूलों पर हम एतबार नहीं करेंगे
जिस्म का सौदा जब तक पक्का ना हो, प्यार नहीं करेंगे।
और जो कहते हैं एक दिन भी ना रह पाएँगे मेरे बग़ैर
हमसे बेहतर हो कोई तो एक दिन भी इंतज़ार नहीं करेंगे।
2.
ज़ाहिर है कि कभी
ज़ाहिर ना हो पाएगी इबादत मेरी
ये और बात है कि
वो खुदा बन गये मेरे इंतज़ार में
3.
ना मालूम ‌वक़्त का तक़ाज़ा क्या था
दिल में छुपा वो इरादा क्या था
हमें झूठी क़समों की दुहाई देने वाले
तुझको याद भी है कि वादा क्या था
4.
मुझे देख वो कभी इधर गये कभी उधर गये
अभी तो दिल में बैठे थे जाने किधर गये
बदलती हवाओं का रुख़ पहचान लिया उसने
कभी बदनाम थे अब शायद सुधर गये
5.
आरज़ू है जुस्तजू है इश्क़ है मह-जबीं है
फिर भी लगता है कहीं कुछ तो कमी है
धड़कने सुनाई नहीं देती रिश्तों के आशियानों में
ख़्वाहिशों की दीवारों पर ज़रूरतों की नमी है

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