नव वर्ष आ रहा है

01-01-2020

नव वर्ष आ रहा है

धर्मेन्द्र सिंह ’धर्मा’ (अंक: 147, जनवरी प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

भूली बिसरी यादों को,    
अपनी झोली में समेटकर। 
ले चला चल तू,
सभी दुःखों को हृदय से त्याग दे,
क्योंकि?
नव वर्ष आ रहा है. . .

 

नव गीत हों, नव राग हों,
और नव संसार हो। 
पुनः लोगों के हृदय में, 
ख़ुशियों की भरमार हो। 
द्वेष-भाव सब दूर कर दे,
क्योंकि?
नव वर्ष आ रहा है. . . 

 

हृदय से लगाकर,
एक दूजे को,
बन जाओ तुम नि:स्वार्थी,
प्रेम की गंगा बहती है, यहाँ पर . . .
कभी क्रोध को त्याग कर देख। 
निराशा को त्याग कर,
आशा में विश्वास कर अब. . . 
क्योंकि ?
नव वर्ष आ रहा है. . .

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