नव वर्ष स्वागतम् (2015)

04-02-2015

नव वर्ष स्वागतम् (2015)

डॉ. रामकेश्वर तिवारी

सुगन्धितं सुरभितं सुसौख्यदं सुशान्तिदम्
मन्द-मन्द मधुर-मधुमय वाणी हो सम्भाषितम्।
वसन्त कुसुम सुसौरभों से हो सदा शुभवासितम्
चिर प्रतीक्षित नववर्ष का चिरकाल तक स्वागतम्।।
आज ही तूँ कर हे मानव! नववर्ष का स्वागतम्।1।

 

नववर्ष में मिले तुझको स्वस्थता आरोग्यता
निखिल भारतवर्ष की सम्पन्नता सुमनस्यता।
और दे नववर्ष तुझको स्थिरसुख शीतलकरम्
चिर प्रतीक्षित नववर्ष का चिरकाल तक स्वागतम्।।
प्रतिवर्ष तूँ कर हे मानव! नववर्ष का स्वागतम्।2।

 

प्रत्यक्ष से, अनुमान से, उपमान से, और शब्द से
अवशिष्ट यदि अभीष्ट हो तो, पूर्त हो इस अब्द से।
अलभ्य तुझको लभ्य हो और लभ्य हो अतिसरलतम
चिर प्रतीक्षित नववर्ष का चिरकाल तक स्वागतम्।।
प्रतिवर्ष तूँ कर हे मानव! नववर्ष का स्वागतम्।3।

 

श्री से विभूषित होकर नववर्ष हो प्रीतिदा
दुर्भाग्य का विनाश हो, हो प्राप्त कीर्ति सर्वदा।
वन्य पुष्पित, लता सुरभित, सनातन हो वर्ष मुन्दनम्
चिर प्रतीक्षित नववर्ष का चिरकाल तक स्वागतम्।।
आज हीं तूँ कर हे मानव! नववर्ष का स्वागतम्।4।

 

सुमंगलं शोभाकरं सुनियोजितं और शुभकरम्
सुशान्तिदं सौभाग्यदं हो प्रतिवर्ष का प्रतिदिनम्।
नववर्ष में बोलो मानव! सत्यं शिवं सुन्दरम्
चिर प्रतीक्षित नववर्ष का चिरकाल तक स्वागतम्।।
प्रतिवर्ष तूँ कर हे मानव! नववर्ष का स्वागतम्।5।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

शोध निबन्ध
सामाजिक आलेख
कविता
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में