नव वर्ष का इंतज़ार

01-01-2020

नव वर्ष का इंतज़ार

डॉ. राधिका गुलेरी भारद्वाज (अंक: 147, जनवरी प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

नवोत्कर्ष नवजोश का संचार हो रहा है 
हर वर्ष नव वर्ष का इंतज़ार हो रहा है 

 

बगिया में पुलकित पुष्पों सा
शिशुओं में नव उल्लास हो रहा है 
हर वर्ष नव वर्ष का इंतज़ार हो रहा है 

 

सुर्ख लाल उष्मित रगों में  
नव स्वप्नों का शृंगार हो रहा है 
हर वर्ष नव वर्ष का इंतज़ार हो रहा है 

 

वही रवि वही लालिमा, चन्द्र वही और ज्योत्स्ना 
पर नयनों में नव प्रभा का प्रकाश हो रहा है 
हर वर्ष नव वर्ष का इंतज़ार हो रहा है 

 

नेता करते उद्घोष जन-जन में भरते जोश 
नव प्रस्तावों नव लक्ष्यों का आग़ाज़ हो रहा है 
हर वर्ष नव वर्ष का इंतज़ार हो रहा है 

 

अरमान अधूरे होंगे अब पूरे 
यूँ कुछ सुखद एहसास हो रहा है 
हर वर्ष नव वर्ष का इंतज़ार हो रहा है 

 

हर तन रोमांचित कण-कण प्रफुल्लित 
धरती से आकाश हो रहा है 
हर वर्ष नव वर्ष का इंतज़ार हो रहा है 

जाते वर्ष का आभार, आते को करें स्वीकार 
आनंदमयी सारा संसार हो रहा है 
हर वर्ष नव वर्ष का इंतज़ार हो रहा है

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें