हाइकु - 4
शिकारी हारा जाल सहित पक्षी नभ में उड़े। * दर्द के गीत प्रीत लिखती रही पत्थर देव। * मौन आकांक्षा मन की बात जाने कोई अपना। * शब्द व्यथित अपरिचित जन भाषा अंजान। * नदी से रेत पर्वत से खनिज लुटती धरा।