नरेन्द्र श्रीवास्तव - 5

15-08-2019

नरेन्द्र श्रीवास्तव - 5

नरेंद्र श्रीवास्तव

1.
प्यासी धरती
बरखा की बूँदों में
घड़े का पानी।
2.
काली घटायें
बूँदों को विदा देने
नभ पे आयीं।
3.
बरखा बूँदें
आकाश से बिछड़ी
धरा में खोयीं।
4.
अषाढ़ मेघ
जल कलश लिये
पावस पर्व।
5.
बरखा बूँदें
शीशे के मंदिर में
तस्वीर तेरी।
6.
बरखा बूँदें
गुनगुनातीं रहीं
विरह गीत।
7.
बरखा बूँदें
बहाती रहीं आँसू
बाट जोहती।
8.
बरखा बूँदें
यत्र तत्र सर्वत्र
तुझे ढूँढ़तीं।

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