नदी को जलधि में समाना

15-02-2021

नदी को जलधि में समाना

अविनाश ब्यौहार (अंक: 175, फरवरी द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

122 122 122
 
नदी को जलधि में समाना।
समय को न यूँ ही गँवान॥
 
अगर दर्द पाना लिखा है,
जहाँ में सभी को हँसाना।
 
यहाँ पर चलन है निराला,
भरोसा न कर, दे बयाना।
 
मिला है खुला मंच उनको,
न आया मगर सुर लगाना।
 
ज़माना बहुत संगदिल है,
लुटा आँसुओं का ख़ज़ाना।

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