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नदी को जलधि में समाना।
समय को न यूँ ही गँवान॥
अगर दर्द पाना लिखा है,
जहाँ में सभी को हँसाना।
यहाँ पर चलन है निराला,
भरोसा न कर, दे बयाना।
मिला है खुला मंच उनको,
न आया मगर सुर लगाना।
ज़माना बहुत संगदिल है,
लुटा आँसुओं का ख़ज़ाना।