न औरों की निंदा न मज़हब की बातें

01-09-2020

न औरों की निंदा न मज़हब की बातें

बलजीत सिंह 'बेनाम' (अंक: 163, सितम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

न औरों की निंदा न मज़हब की बातें
मिले जब भी फ़ुर्सत करो रब की बातें

 

गुनाहों की तादाद बढ़ने लगी है
कोई आ के छीने मेरे लब की बातें

 

नज़र में ज़रा सी नदामत भी रखना
अगर दिन में छेड़ो कभी शब की बातें

 

बशर में हवस का निशाँ तक नहीं था
न हम थे न तुम थे ये हैं तब की बातें

 

जहाँ मीर इक़बाल का ज़िक्र हो तो
वहाँ छोड़ो ‘बेनाम’ साहब की बातें

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