मुझसे मेरी पहचान न छीनो

01-10-2021

मुझसे मेरी पहचान न छीनो

संजय श्रीवास्तव (अंक: 190, अक्टूबर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

मेरा भी अस्तित्व है अपना
मुझसे मेरी जान न छीनो,
 
किसने दिया अधिकार ये तुमको
मुझसे मेरी पहचान न छीनो।
 
जिस घर में मैंने जनम लिया
जिस आँगन में मैं खेली थी,
 
जिन सखियों से बतियाती थी
जो गुड्डे गुड़िया मेरी सहेली थीं।
 
वो बाबुल का घर छूट गया
पनघट नदियाँ भी छूट गईं,
 
क्या और गुहार लगाऊँ तुमसे
मुझसे मेरी पहचान न छीनो

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