मिलना तेरा-मेरा
कमला निखुर्पाधरती मिली
गगन से जब भी
पुलक उठी
क्षितिज हरषाया।
बदली मिली
पहाड़ों के गले से
बरस गई
सावन लहराया।
ओ मेरे मीत!
मिलना तेरा-मेरा
मिले हैं जैसे
नदिया का किनारा।
मन क्यों घबराया?
धरती मिली
गगन से जब भी
पुलक उठी
क्षितिज हरषाया।
बदली मिली
पहाड़ों के गले से
बरस गई
सावन लहराया।
ओ मेरे मीत!
मिलना तेरा-मेरा
मिले हैं जैसे
नदिया का किनारा।
मन क्यों घबराया?