मेरी माँ
आभा नेगीआँख खुली तो
बस रोना आया
ना चुप हुई तो
मेरी माँ ने कराया।
स्पर्श पाते ही हँसने लगी
चूमा चेहरा तो एक
प्यारा सा एहसास हुआ
जो मुझे मेरी माँ ने कराया।
जब न बहलती
बस रोती रहती
माँ ख़ूब ठिठोली करती
माँ ने मुझे मुस्कुराना सिखाया।
थम-थम करके
पैर बढ़ाती, फिर झट से मैं गिर जाती।
तब माँ ने
हाथ पकड़कर चलना सिखाया।
कभी दा पर, कभी पा पर
मैं अटक जाती
फिर माँ ने मुझको
हँसकर बोलना सिखाया।
कितना प्यारा है
माँ का एहसास
कितना वह मुझको करती प्यार
कभी माँ ने
ये ना जताया।
आँख खुली तो
बस रोना आया॥