मेरे ख़ुदा

15-09-2021

मेरे ख़ुदा

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 189, सितम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

मैं फ़क़ीर हूँ,
तेरे दर का ख़ुदा
मेरी आज़माइश न कर।
 
तू पीर है मेरा,
मेरे ख़ुदा
मेरी जग हँसाई न कर।
 
मैं कमज़ोर लाचार हूँ,
मेरे  ख़ुदा
मेरा तू हम राही बन।
 
मैं अनजान हूँ,
तेरी इस क़ाएनात से
मेरे  ख़ुदा
तू मेरा हमराज़ बन।
 
मैं मुरीद हूँ तेरा
मेरे  ख़ुदा,
तू अब मेरा मुर्शिद बन।

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