मेरे दादाजी

01-02-2021

मेरे दादाजी

आलोक कौशिक (अंक: 174, फरवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

वो हैं सबसे अच्छे 
वो सबसे प्यारे हैं 
पापा के पिताजी 
दादाजी हमारे हैं 
 
जागते हैं सवेरे 
भजन सुनाते हैं 
जगाकर मुझको 
योग करवाते हैं 
 
होती है शाम जब 
मैदान लेकर जाते हैं 
ख़ुद तो चलते हैं धीरे 
मुझको दौड़ाते हैं 
 
खेलते हैं मेरे संग 
कहानियाँ सुनाते हैं 
पढ़ना भी है ज़रूरी 
मुझको समझाते हैं 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
बाल साहित्य कविता
लघुकथा
कहानी
गीत-नवगीत
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में