मेरा जीवन बन गया मधुबन

01-03-2020

मेरा जीवन बन गया मधुबन

अशोक योगी 'शास्त्री' (अंक: 151, मार्च प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

थिरकते पाँव, उमड़ते भाव
शादी   की   शहनाई   में
झंकृत मन, अलंकृत तन
वसंत  की   तरणाई   में
मधुर..  मकरंद ..    सा 
फिर   खिले   तेरा  यौवन
प्रेम तुम्हारा पाकर "प्रिये"
मेरा जीवन बन गया मधुबन

 

किसलय कोपल संग नव प्रभात हुआ
अंबर... में.. अरुणिमा... छाई
जीवन    सुंदर     स्वप्न    बना
जब  से  तुम  जीवन  में  आई
महकते  रहना  घर   आंगन में
बनकर   सुगंध    चंदन    वन
प्रेम  तुम्हारा...पाकर.... "प्रिये"
मेरा   जीवन  बन गया   मधुबन।


मृदुल   तन,    रक्तिम   मुख
उदय   होता  मानो दिवाकर
सुनकर मधुकर की मधुर गुंजार
तुम.... आओ न .......... प्रिये
कर ..  नव ..  यौवन ..  शृंगार
जागृत  करें  स्वप्निल  दृगों में_
प्रथम .......वसंत......मिलन
प्रेम ...तुम्हारा.. पाकर.. "प्रिये"
मेरा  जीवन   बन  गया  मधुबन।

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