मीटू बनाम शीटू

01-10-2020

मीटू बनाम शीटू

दिलीप कुमार (अंक: 166, अक्टूबर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

रात को दो बजे कमरे में कर्कश ध्वनि हुई तो मैं झुँझलाकर उठा। पत्नी अभी-अभी यूट्यूब देखकर सोई थी क्योंकि मेरा फोन उसके हाथ में अटका पड़ा था। फोन उठाया तो दूसरी तरफ शादाब मियाँ थे। पत्नी के मोबाइल पर शादाब की कॉल देखकर दिमाग चकरा गया। लेकिन तभी ख़्याल आया कि हिरणी जैसी मेरी पत्नी अब बुलडोज़र हो चुकी है और शादाब की क्या शामत आयी है जो उसे फोन करेगा, वैसे भी ऐसी पत्नी को प्राप्त करके मैं सद्‌गति प्राप्त होने की कगार पर हूँ। काल रिसीव होते ही शादाब मियाँ हाँफते हुए बोले, "अमां यार लेखक महोदय, देखा तुमने गज़ब हो गया। कब से तुम्हें फोन कर रहा हूँ। तुम्हारा फोन नहीं लगा तो भाभी को ट्राई किया।" मैंने हँसते हुए कहा, "भाभियों को ट्राई करना छोड़ दे कमबख़्त, वरना तुम्हारा भी किसी दिन मीटू हो जायेगा। 

वो चहकते हुए बोला"अल्लाह मुहाफ़िज़ है, ख़ैर मेरी छोड़ो, ये सुनो, लवली ने भी मीटू कर दिया।"

अब अवाक होने की मेरी बारी थी— "क्या लवली ने भी?"

शादाब मियाँ खिलखिलाते हुए बोले, "रे ख़ुदा के बन्दे, फोन आन करो, फ़ेसबुक देखो। पाँच मिनट में काल बैक करता हूँ। मैं सुबह तक फोन करने का इन्तज़ार नहीं कर सकता। मुझे तुमसे कुछ अर्जेंट नॉन वेज बातें करनी हैं। सो कमरे से निकल आना वरना भाभी सुन लेगी तो तत्काल तुम्हारा डोमेस्टिक वायलेंस और मीटू दोनों साथ में हो जायेगा। अब जल्दी देखो भाईजान, मुझे चैन नहीं है।" 

मैंने फ़ेसबुक ऑन किया। लवली जी ने पोस्ट में मुझे भी टैग किया था। उनका अनुमान था कि बन्दा खुले ज़ेहन का है, वाल पर आकर मर्दों को कोसेगा और उनकी पोस्ट का वज़न बढ़ जायेगा। उन्होंने एक बार मुझे बताया था कि वो अपनी पोस्ट पर मेरी आमद को ऐसे देखती हैं जैसे इमरान हाशमी अपना सर्वश्रेष्ठ अभिनय परफ़ॉर्म कर रहे हों और हरिहरन उसका प्लेबैक गा रहे हों। लवली जी दारू और बॉयफ़्रेंड विशेषज्ञ महिला थीं। देश के उत्तरी किनारे पर बसे एक बॉर्डर के ज़िले में पोस्टेड थीं फ़िलवक़्त। ये शहर बॉर्डर की तस्करी, जलसे, तक़रीर, क़व्वाली, कीर्तन के लिए मशहूर था लेकिन इस शहर में अब लवली जी के लव टिप्स भी ख़ासे मशहूर हो रहे थे। लेकिन ये हुनर सिर्फ़ तफ़रीह के लिये मुफ़ीद था इसके प्रैक्टिकल नतीजे बहुत कामयाब नहीं रहे थे। यहाँ लड़के-लड़कियाँ सोशल मीडिया पर बहुत कम संवाद करते हैं। उनके लिये बरसों से आज़माया गया नुस्ख़ा ही कारगर है कि किसी यार दोस्त से मुँह ज़बानी कहलवा दो या फिर किसी और की राइटिंग में चिट्ठी लिखवाकर किसी और ग़ैर के ज़रिये भिजवा दो ताकि पकड़े जाने पर लड़का या लड़की साफ़ तौर पर मुकर जाएँ। फ़ेसबुक और मेसेंजर पर लफड़ा नहीं पालते कि कब कौन रायता फैला दे। लवली मैडम इस शहर के इश्क़ के दस्तूर से अनजान थीं। अड़तीस साल की उम्र में ना तो कोई उनसे प्रेम करने को तैयार था ना विवाह और उनकी ज़िद थी कि वो प्रेम विवाह ही करेंगी। वैसे अनौपचारिक रूप से वे प्रेम और विवाह दोनों के सुखों से अछूती नहीं रहीं थीं। परिवार वालों ने तमाम प्रयास किये लेकिन उनकी दारू, चखना और लव गुरुआइन वाली पोस्टों ने उनका घर बसने नहीं दिया। 

लवली जी अपने ऑफ़िस के लोगों के साथ खाना-पीना पसन्द नहीं करती थीं क्योंकि ऑफ़िस वाले लोग उनको खिलाने से ज़्यादा पिलाने पर आमादा रहते थे ताकि वो पीकर बहकें तो. . .?

ढलते हुए यौवन पर ज़बरदस्त मेकअप उन्हें चर्चा का विषय बनाये रखता था। उनके ऑफ़िस में बस उन्हीं के चर्चे थे और वो ऑफ़िस पैंतालीस पार के पुरुषों से भरा पड़ा था। नगरपालिका में फ़िलहाल लवली जी शौचालय सत्यापन समिति के इंचार्ज पद पर शोभायमान थीं।

"कुछ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूँ के आसार
और कुछ लोग कह कहके दीवाना बना देते हैं।" 

सो पहले लवली जी दिन में दो-चार घूँट ही लेती थीं मगर जिस दिन शौचालय का भौतिक सत्यापन करना होता था, उस दिन वो दो-चार पैग लगाकर ही निकलती थीं। पहले अधिकांश मेहतर उनके विरोधी थे लेकिन जब से उनको पता लगा कि मैडम टल्ली होने की हद तक पीती हैं तब से उनका विरोध ख़त्म हो गया। वैसे भी शराब हमेशा से भाईचारा बढ़ाने के लिये कारगर रही है, बक़ौल लवली मैडम कविवर बच्चन साहब भी लिख गए हैं कि–

"बैर कराते मन्दिर-मस्जिद, मेल कराती मधुशाला।" 

लवली मैडम जब फ़ील्ड में होती हैं और काम में कोई अड़चन आती है तो अपने हैंडबैग से निकालकर दो-चार घूँट मेहतरों को दे देती हैं, जिससे तुरंत सारे विवाद निपट जाया करते हैं। सबको पीने-पिलाने के बाद लवली मैडम वैसा ही भाषण देती हैं जैसा राणा सांगा से हार रहे बाबर ने दिया था और फिर उस तक़रीर के उत्साह से लबरेज़ होकर उनकी सेना जंग जीत गई। वो अपने भाषणों में नज़ीर देते हुए कहती हैं:

"मेरे साथियो आप लोगों की नालियाँ साफ़ करते हैं जिससे शरीर स्वस्थ रहता है और मैं लोगों के दिमाग़ की चोक नालियाँ फ़ेसबुक पर साफ़ करती हूँ, इसलिये आप समाज के ज़मीनी मेहतर हैं और मैं फ़ेसबुक की ज़ेहनी मेहतरानी हूँ, दोनों का संतुलन देश के लिये ज़रूरी है।"

लवली मैडम ने विभाग के सभी युवाओं का फ़ेसबुक एकाउंट खुलवा दिया है, वे सभी उनको फ़ॉलो करते हैं,  ईव टीज़िंग वाला फ़ॉलो नहीं फ़ेसबुक वाला फ़ॉलो। कुछ लड़कों के पासवर्ड भी उनके पास हैं, अपनी ही फोटो पर वो उनके एकाउंट से दस बीस लाइक और कॉमेंट कर आती हैं। लव गुरुआइन लवली जी के लव टिप्स को फ़ॉलो करके तमाम लोगों की ज़िंदगी में लवली मौसम आ गए, ना जाने कितनों की नैया पार हो गयी। जो लोग महिलाओं से थर-थर काँपते थे आज उनकी दो-तीन गर्लफ़्रैंड हैं। सब मस्त हैं लेकिन लवली जी परेशान हैं कि कोई उन्हें प्रेम नहीं करता, प्रेम करना ही नहीं चाहता। हर कोई उनसे फ़्लर्ट या अफ़ेयर ही करना चाहता है। उनके ऑफ़िस के तोंद वाले साहब से लेकर उन्हें फ़ेसबुक पर फ़ॉलो करने वाले लोग भी। 

लवली जी आहें भरकर अपनी खोई हुई कमनीयता की फोटो निकालती हैं, निहारती हैं और फिर दो पैग लगाकर एक शेर गुनगुनाती रहती हैं–

"ना किसी के आँख का नूर हूँ, 
ना किसी के दिल का क़रार हूँ
जो चमन खिजां से उजड़ गया
मैं उसी की फ़सले बहार हूँ ।" 

तो ग़ालिबन लवली मैडम के पास सब कुछ है मगर हक़ीक़तन कुछ भी नहीं। भले ही ज़बरदस्त फ़ाउंडेशन, मेकअप से उनके चेहरे के दाग धब्बे बढ़ते जा रहे हों, लेकिन उनकी पोस्ट चमकती रहनी चाहिए, यही मक़सद है उनके जीवन का। अपनी पोस्ट को चमकाने के लिये वो किम जोंग की योजनाओं से लेकर शेयर बाज़ार और दुनिया की आर्थिक नीतियों का भी अध्ययन करती हैं। कोई बड़ा नेता अस्पताल में भर्ती हुआ नहीं कि लवली जी उसकी कुंडली निकाल लेती हैं कि उसके देहांत पर सबसे वज़नदार और चमकदार पोस्ट उन्हीं की होनी चाहिये वो भी सबसे पहली। किसी को तक़लीफ़ हो, दुख हो, देश में मातम हो या हादसा, बाढ़ हो या अकाल, वो विराट कोहली की तरह अपने लक्ष्य पर पूरा फ़ोकस रखती हैं कि फ़ेसबुक पोस्ट हर हाल में चमकानी है। 

कहीं स्कूल बस पलट जाये औए बच्चे मर जाएँ तो वो बच्चों की मौत पर सम्वेदना व्यक्त नहीं करती हैं बल्कि परिवहन मंत्री का इस्तीफ़ा माँगते हुए समूची सरकार पर हमला बोल देती हैं, भले ही दुर्घटना के वक़्त वो परिवहन मंत्री ट्रैफ़िक सिस्टम की बारीक़ियों को समझने फ्रांस गया हो. . .। 

इसी कारण विभाग की किरकिरी हुई और दो-चार बार लवली मैडम को कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ। तब लवली मैडम ने ऐट पीएम पर उस जाँच अधिकारी को कैंडल लाइट डिनर करा कर एक ब्लैक डॉग की बोतल गिजाँ कर दी। जाते जाते वो जाँच अधिकारी को ये बताना नहीं भूलती थीं कि उनके तार ’सो कॉल्ड सेक्युलर लॉबी’ और ख़तरनाक फ़ेमिनिस्ट लोगों से बहुत गहरे जुड़े हैं। इसीलिये उनके लिए किसी का भी मीटू कर देना या करवा देना बायें हाथ का खेल है। सो ऐसे मामले तुरंत सुलट जाते थे। 

एक बार एक ही नोटिस का बार-बार रिमाइंडर आया तो जाँच अधिकारी से उनका अफ़ेयर ही हो गया। मामला गंभीर हुआ तो उस जाँच अधिकारी की पत्नी तक पहुँचा। जाँच अधिकारी की पत्नी दो युवा हो रहे पुत्रों की माता थी। उसको अपना घर टूटता दिखा तो वो आ धमकी लवली मैडम के दफ़्तर। अपना घर टूटने से बचाने के लिये उसने लवली मैडम को ऐसा तोड़ा कि देखने वालों की रूह फ़ना हो गयी। 
उस रणचंडी ने लवली मैडम के सर के बाल उखाड़ लिये और एक अंगुल तक खोपड़ी के बाल जड़ से विहीन कर दिये। उसने लवली जी के आगे के दो दाँत तोड़ डाले, माथा फोड़ दिया और तन के कपड़े भी फाड़ डाले। शौचालय प्रभारी लवली मैडम ने किसी तरह शौचालय में छिप कर अपनी जान बचाई। 
महिला ने महिला की पिटाई की तो उस सरकारी ऑफ़िस में कोई बड़ा मुद्दा नहीं था लेकिन ये तमाशा सबने लुत्फ़ लेकर देखा। 

लोगबाग तमाशबीन ही बने रहे क्योंकि तमाशा एक नामचीन शिकारी का बना था। ऐसे शिकारी कभी-कभार ख़ुद भी शिकार हो जाया करते हैं इसे ही कहते हैं "चोर पर मोर"। लोगों ने बहुत कहा कि मुक़दमा कर दो मगर क्या करतीं बेचारी लवली मैडम। मामला कोतवाली जाता तो लवली मैडम की तमाम करतूतें बाहर आ जातीं, सो लवली मैडम अपने हाई प्रोफ़ाइल कनेक्शन के बावजूद मन मसोस कर रह गयीं। 

जिन गलियों में फूलों की पालकी की सवारी किया करती थीं लवली मैडम, उन्हीं गलियों में सूखी लकड़ियों की तरह उनका ग़ुरूर तोड़ दिया गया सो उन्होंने अपना तबादला करा लिया इक शेर बुदबुदाते हुए:

"इंशा जी अब उठो यहाँ से, इस शहर में दिल का लगाना क्या"

नए शहर में नए तरीक़े से धाक जमाई लवली मैडम ने। भले ही वो जगह नई हो मगर फ़ेसबुक तो सर्वत्र था सो हर जगह उनकी तूती बोलती रहती थी मगर इस शहर में आकर वो थोड़ा और सेक्युलर और थोड़ी एक्स्ट्रा फ़ेमिनिस्ट हो गईं थीं। उन्होंने रब को शुक्रिया कहा कि उनकी पिछली पिटाई फ़ेसबुक पर नहीं आ पायी थी वरना रामजाने क्या होता उनकी आभासी महत्वाकांक्षी योजनाओं का। 

कहते हैं "चोर चोरी से जाये, मगर हेरा फेरी से ना जाये"। नए वाले सेकुलरिज़्म और एक्स्ट्रा फेमिनिज़्म में स्थायी लुत्फ़ ना था, मगर लवगुरु वाला रोज़गार तो सदाबहार था। लवगुरु होने के लिये लव की प्रैक्टिस भी ज़रूरी है सो ग़ालिबन उन्हें लव में रहना ही पड़ा मगर ज़रा सँभलकर। नये शहर में उन्होंने नये शौक़ पाले और लोगों को अपनी नई उम्र भी बताई। जिस तरह उन्हें अपनी उम्र से दस-पंद्रह साल कम दिखने का शौक़ था वैसे ही अपने से एक पन्द्रह साल छोटे लड़के ने लवली मैडम ने अफ़ेयर कर लिया। अड़तीस साल की लवली जी का तेईस साल के लवेश से अफ़ेयर हो गया जो फ़ेसबुक के ज़रिये उनके सम्पर्कों में आया था। 

लवेश का एक बस एक ही काम था कि व्हाट्सअप पर बैठकर दिन भर चलताऊ शायरी नोट करना और जिम में बैठकर अपनी बॉडी बिल्डिंग वाली तस्वीरों के साथ उन्हें पोस्ट करना। लवेश, लवली जी से दो क़दम आगे था। वो अपने रोज़मर्रा के ख़र्चे भी अपनी जीवन में आई हुई सुंदरियों से लेता था। सब जानते-बुझते हुए भी लवली जी उस पर मर मिटीं, वैसे भी अदीबों की जमात में लवली जी की साख ख़ाक हो चुकी थी। सो अब लवेश से अफ़ेयर उनके लिये किसी उपलब्धि से कम ना था। लवेश के जीवन का ही बस एक ही मक़सद था कि उसकी फ़ेसबुक वाल चमकती रहे बस, जिसके लिये वो किसी भी क़ीमत तक जा सकता था। ’रब ने बना दी जोड़ी’ टाइप सीन था, दोनों ही अपनी आभासी दुनिया की चमक बढ़ाने के लिये किसी भी हद तक जा सकते थे। 

नए शहर में लवली जी को महत्वहीन पद मिला जिससे उनकी ऊपर की कमाई बन्द हो गयी। ऊपर से उन्होंने अपने टूटे दाँत, फूटे माथे और नुचे बालों की मरम्मत में लाखों रुपये खर्च करके सर्जरी करायी थी जिससे उनका हाथ ख़ासा तंग था, फिर भी लवेश को अपने प्यार की चुंगी रुपयों के शक्ल में देती रहीं। 

ना जाने कैसी हवा चली कि इसी दरम्यान लवली जी औऱ लवेश के फ़ेसबुक फ़ॉलोवर्स की संख्या में बहुत भारी गिरावट आ गयी। दोनों हैरान, परेशान और बेबस। इसी परेशानी में लवली जी ने कुछ अंट-शंट बक दिया और फिर वो विभागीय राजनीति का भी शिकार हो गयीं और फिर विभाग के मुखिया ने उनकी तनख़्वाह भी रोक दी। तीन महीने में ही उनको दिन में तारे दिख गये। वो स्कॉच से ठर्रा पर आ गयीं। हाथ में पैसा रहा नहीं तो वो लवेश का भी ख़र्चा नहीं उठा पा रही थीं। दोनों की ज़िंदगी और फ़ेसबुक पोस्ट्स बेरौनक़ हो चली थीं। इसी बीच अपने बॉस को अपने रसूख़ की धमकी देने के कारण और अपनी वाचालता की वज़ह से वो निलंबित भी हो गयीं। 

सो अब लवली मैडम का पूरा ध्यान फ़ेसबुक पर ही केंद्रित हो गया था। बिना ऊपरी कमाई वाले इस पटल पर उनका मन पहले से ही नहीं लग रहा था। उनकी ज़िंदगी बेनूर हो चली थी और फ़ेसबुक बेरौनक़। बस तभी मीटू का ज़लज़ला आया। उन्हें एक उम्मीद नज़र आयी सो उन्होंने अपना मीटू लिखने का फ़ैसला किया और किस्तों में लिखने का फ़ैसला किया। उन्होंने अपनी बारह बरस की उम्र का मीटू लिखा लेकिन पहला अध्याय ही। वो भी उन्हें स्कूल ले जाने वाले रिक्शावाले के साथ। 

हक़ीक़त में बचपन में जिस रिक्शा पर बैठ कर वो स्कूल जाया करती थीं उसी पर बैठे हुए वो एक दिन वो मस्तराम पत्रिका की रंगीनियाँ देख रही थीं। तभी चालीस साला रिक्शेवाले की नज़र उन पर पड़ गयी जो उन्हें अपनी बेटी जैसा ही मानता था। उसने लवली को दो कंटाप जड़े और वो अश्लील पत्रिका फाड़ कर फेंक दी। लवली घर लौटी तो उसके गाल सूजे थे, माँ ने सख़्ती से पूछा तो लवली ने अपनी ग़लती छुपाते हुए कह दी कि रिक्शेवाले अंकल ने उनके साथ बदतमीज़ी की है। 

अगले दिन सच्चाई का पता लगा तो लवली की माँ ने पिटाई करके उसका दूसरा गाल भी सूजा दिया। लेकिन लवली जी को हर हाल में अपनी पोस्ट चमकानी थी सो उन्होंने अपना मनगढ़ंत मीटू लिखना शुरू कर दिया। अभी उन्होंने पहला भाग ही लिखा था, क्लाइमेक्स बाक़ी था कि लोग उनकी पोस्ट पर बलि-बलि गये। 

मैंने भी पोस्ट पढ़ी, इतनी रात गये शादाब मियाँ से बात करने का मेरा कोई इरादा नहीं था, सो घर के सारे मोबाईल फोन मैंने स्विच ऑफ़ कर दिये। 
शादाब मियाँ अगले पूरे हफ़्ते मुझे बताते रहे कि लवली मैडम अब सुपरस्टार बन चुकी हैं, उनके पचास हज़ार फ़ॉलोवर्स हो चुके हैं। दिन भर सबके फोन-मैसेज का जवाब देते वो थक जातीं। वो इतनी ख़ुश हुईं कि कई हफ़्तों तक ना सिर्फ़ लवेश को फोन करना भूल गयीं बल्कि उसका फोन उठा भी नहीं पायीं। 

वैसे भी अब लवली जी के लिये ना तो लवेश के लिये समय था, ना धन, ना महत्व। चोट खाया आशिक़ जो भी कर जाए वो कम ही होता है। सो लवली जी को सबक़ सिखाने के लिये उसने रिवर्स मी टू लिख दिया। गज़ब ये था कि उसने लवली जी की असली मार्कशीट और अपनी फोटोशाप वाली मार्कशीट और फ़ोटो भी पोस्ट कर दी फ़ेसबुक पर। बक़ौल मार्कशीट वो उम्र में नाबालिग और फोटोशॉप वाली फ़ोटो में काफ़ी कम उम्र का नज़र आ रहा था और पोस्ट में लवली जी बिल्कुल उसकी दूनी उम्र की महिला लग रही थीं। 

लोगों ने इस रिवर्स मीटू को भी हाथों-हाथ लिया और चंद रोज़ में ही लवेश के फ़ेसबुक फ़ॉलोवर्स की संख्या सत्तर हज़ार के पार निकल गयी। रिवर्स मीटू फिलहाल सोशल मीडिया पर ख़ूब ट्रेंड हो रहा है। लवली जी पर लगातार हमले जारी हैं, उन्होंने अपना फ़ेसबुक एकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया है और मोबाइल बंद करके कहीं अज्ञातवास पर चली गयी हैं। आपको कहीं दिखीं क्या. . .?

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